जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना
जाने जन्माष्टमी क्या है महत्त्व सभी भारतीय जानते है, भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है.जन्माष्टमी उत्सव मनाया जाता है. आज में हम जन्माष्टमी के कुछ रोचक तथ्य आपके साथ साझा करते है.
कृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी के नाम से भारत, नेपाल, अमेरिका सहित विश्वभर में मनाया जाता है। कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। वे माता देवकी और पिता वासुदेव की 8 वीं संतान थे।
द्वापरयुग में भोजवंशी राजा श्री उग्रसेन मथुरा में राज करते थे। उनका एक पुत्र कंस था और उनकी बेटी देवकी थी। देवकी का विवाह वसुदेव के साथ हुआ था। कंस ने अपने पिता को कारगर में डाल दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया। कंस की मृत्यु उनके भानजे, देवकी के 8 वे संतान के हाथो होनी थी। ऐसी भविष्यवाणी आकाश में देवकी के विवाह के दूसरे दिन हुई. भविष्यवाणी ने बाद कंसने अपनी बहन और बहनोई को भी मथुरा के कारगर में कैद कर दिया और एक के बाद एक देवकी की सभी संतानों को मार दिया। कृष्ण का जन्म (भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था.)आधी रात को हुआ तब कारागृह के द्वार स्वतः ही खुल गए और सभी सिपाही निंद्रा में थे। वासुदेव के हाथो में लगी बेड़िया भी खुल गई।गोकुल के निवासी नन्द की पत्नी यशोदा को भी संतान का जन्म होने वाला था। वासुदेव अपने पुत्र को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े
इस बार जन्माष्टमी कब मनाई जायेगी।
दरअसल, इस बार कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन यानी कि 23 और 24 अगस्त, 2019 को पड़ रही है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार विष्णु के आठवें अवतार कृष्ण का जन्म भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस हिसाब से अष्टमी 23 अगस्त,2019 को पड़ रही है जबकि रोहिणी नक्षत्र इसके अगले दिन यानी कि 24 अगस्त, 2019 को है. इसका मतलब यह है कि इस बार अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं हो पा रहा है.
ऐसे में विचार उठता है कि फिर जन्माष्टमी का व्रत किस दिन रखा जाए? आपको बता दें कि पंडितों का मानना है कि गृहस्थियों के लिए जन्माष्टमी का व्रत निर्विवाद रूप से 23 अगस्त, 2019 को है. देश के वरिष्ठ विचारकों का तर्क है कि शास्त्रों के अनुसार जिस रात्रि में चन्द्रोदय के समय भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि हो उस दिन जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए. माताएं मां देवकी के समान पूरे दिन निराहार रहकर व्रत रखती हैं और रात्रि में भगवान के प्रकाट्य पर चन्द्रोदय के समय भगवान् चन्द्रदेव को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करती हैं.
जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 23 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 09 मिनट से.
अष्टमी तिथि समाप्त: 24 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक.
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 24 अगस्त 2019 की सुबह 03 बजकर 48 मिनट से.
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 25 अगस्त 2019 को सुबह 04 बजकर 17 मिनट तक.
कैसे मानते है? जन्माष्टमी
- युवा एवं बच्चे जन्माष्टमी त्यौहार मटकी फोड़कर कर मानते है.
- भगवान श्री कृष्ण की कृपा के अनुसार भक्तगण मां देवकी के समान पूरे दिन निराहार रहकर व्रत रखते हैं और रात्रि में भगवान के प्रकाट्य पर चन्द्रोदय के समय भगवान् चन्द्रदेव को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करते हैं.
- भगवान श्री कृष्ण की झांकी बनकर भी जन्माष्टमी त्यौहार मनाया जाता है.
पौराणिक कुरुक्षेत्र युद्ध (महाभारत के युद्ध ) में गांधारी के सभी सौ पुत्रो की मृत्यु हो जाती है। दुर्योधन की मृत्यु से पहले रात को, कृष्णा ने गांधारी को उनकी संवेदना प्रेषित की थी । गांधारी कृष्ण पर आरोप लगाती है की कृष्ण ने जानबूझ कर युद्ध को समाप्त नहीं किया, क्रोध और दुःख में उन्हें श्राप देती हैं कि उनके अपने यदु राजवंश में हर व्यक्ति उनके साथ ही नष्ट हो जाएगा। महाभारत के अनुसार, यादव के बीच एक त्यौहार में एक लड़ाई की शुरुवात हो जाती है, जिसमे सब एक-दूसरे की हत्या करते हैं। सो रहे कृष्ण को एक हिरण समझ कर , जरा नामक शिकारी तीर मारता है जो उन्हें घातक रूप से घायल करता है कृष्णा जरा को क्षमा करते है और देह त्याग देते है
गुजरात में भालका की तीर्थयात्रा ( तीर्थ ) स्थल उस स्थान को दर्शाता है जहां कृष्ण को मृत्यु हुई । यह देहोतेसर्गा के नाम से भी जाना जाता है। भागवत पुराण , अध्याय ३१ में कहा गया है कि उनकी मृत्यु के बाद, कृष्ण अपने योगिक एकाग्रता की वजह से सीधे वैकुण्ठ में लौटे। ब्रह्मा औरइंद्र जैसे प्रतीक्षारत देवताओं को भी कृष्ण को अपने मानव अवतार छोड़ने और वैकुण्ठ लौटने के लिए मार्ग का पता नहीं लगा
टिप्पणियां
टिप्पणी पोस्ट करें