टीआरपी घोटाला : गिरफ़तार चारों आरोपी 13 अक्टूबर तक रहेंगे पुलिस की कस्टडी में
नई दिल्ली। टीआरपी घोटाला मामले में गिरफ्तार चार आरोपी 13 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिए गए हैं। सभी को मुंबई पुलिस ने पिछले दिनों अरेस्ट किया था। मामले में मुख्य आरोपी विशाल भंडारी नाम का शख्स है। हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ ने उन घरों की पड़ताल की जहां मीटर लगे हुए थे। गूगल पे से हुए ट्रांजेक्शंस के स्क्रीनशॉट भी हैं जिनके जरिए चैनल देखने के बदले पैसा दिया गया। गिरफ्तार किए गए चार लोगों में फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा चैनलों के मालिकों के अलावा TRP का डेटा कलेक्ट करने वाली एक मार्केटिंग रिसर्च एजेंसी के पूर्व कर्मचारी भी शामिल हैं। मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फेक टीआरपी रैकेट का खुलासा किया था। उन्होंने कहा था कि इसमें रिपब्लिक टीवी समेत कुछ चैनल्स शामिल हैं। हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ से बातचीत में सिंह ने कहा कि एफआईआर में इंडिया टुडे का नाम था। हालांकि किसी आरोपी या गवाह के हवाले से यह दावा नहीं किया गया है।
मुंबई पुलिस का दावा है कि पैसा देकर TRP को मैन्युपुलेट किया जा रहा था। पुलिस को दो अन्य चैनलों का पता चला है, जिनके नाम फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा हैं। ये चैनल पैसा देकर लोगों के घरों में चैनल चलवाते थे। इस मामले में एक व्यक्ति के पास से लाख रुपये भी जब्त किए गए हैं। मुंबई पुलिस की ओर से इस रैकेट की जानकारी सूचना प्रसारण मंत्रालय और भारत सरकार को दी जाएगी। सिंह के मुताबिक, उन्हें टीआरपी से छेड़छाड़ की शिकायत मिली थी। इसके बाद, हंस रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के लिए काम करने वाले एक व्यक्ति के साथ ही एक कंपनी, जो ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) का हिस्सा है, उसे मलाड से गिरफ्तार किया गया है। BARC की ओर से टीआरपी डेटा मापने के लिए बैरोमीटर लगाए गए हैं। पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में पता चला है कि आरोपियों ने बैरोमीटर उपयोगकर्ताओं को बहलाया-फुसलाया। उन्हें एक खास टीवी चैनल देखने के लिए समय-समय पर भुगतान की पेशकश करके हेरफेर किया। जिन लोगों के घरों में ये बैरोमीटर लगाए गए हैं, उनमें से कुछ ने स्वीकार किया है कि उन्हें अपने टीवी सेट को चालू रखने के लिए 500 रुपये का भुगतान किया गया था, भले ही वे वास्तव में टीवी देखें या नहीं।
मुंबई पुलिस का दावा है कि पैसा देकर TRP को मैन्युपुलेट किया जा रहा था। पुलिस को दो अन्य चैनलों का पता चला है, जिनके नाम फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा हैं। ये चैनल पैसा देकर लोगों के घरों में चैनल चलवाते थे। इस मामले में एक व्यक्ति के पास से लाख रुपये भी जब्त किए गए हैं। मुंबई पुलिस की ओर से इस रैकेट की जानकारी सूचना प्रसारण मंत्रालय और भारत सरकार को दी जाएगी। सिंह के मुताबिक, उन्हें टीआरपी से छेड़छाड़ की शिकायत मिली थी। इसके बाद, हंस रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के लिए काम करने वाले एक व्यक्ति के साथ ही एक कंपनी, जो ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) का हिस्सा है, उसे मलाड से गिरफ्तार किया गया है। BARC की ओर से टीआरपी डेटा मापने के लिए बैरोमीटर लगाए गए हैं। पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में पता चला है कि आरोपियों ने बैरोमीटर उपयोगकर्ताओं को बहलाया-फुसलाया। उन्हें एक खास टीवी चैनल देखने के लिए समय-समय पर भुगतान की पेशकश करके हेरफेर किया। जिन लोगों के घरों में ये बैरोमीटर लगाए गए हैं, उनमें से कुछ ने स्वीकार किया है कि उन्हें अपने टीवी सेट को चालू रखने के लिए 500 रुपये का भुगतान किया गया था, भले ही वे वास्तव में टीवी देखें या नहीं।
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